1100 बालक – बालिकाओं का उपनयन संस्कार निर्दोष तरीके से संपन्न हुआ

त्यागी जब अपने चरम पर पहुंचता है, तब ऐसे कार्यक्रम निर्विघ्न रूप से संपन्न होते हैं- मुनि श्री विनम्र सागर जी महाराज

इंदर। बिचोली मर्दाना स्थित विद्यासागर स्कूल के प्रांगण में मुनि श्री विनम्र सागर जी महाराज ने आज अपने प्रवचन में कहा कि आज 1100 बच्चों का उपनयन संस्कार निर्दोष तरीके से संपन्न हुआ। इसके लिए मैंने रात भर माला फेरी और कई दिनों से आहार में अन्न नहीं लिया। साथ ही, निस्वार्थ सागर जी और निसर्ग सागर जी महाराज ने भी उपवास रखा। कई दिनों से हम इस कार्यक्रम की तैयारी कर रहे थे। त्याग जब अपने चरम पर पहुंचता है, तब ऐसे कार्यक्रम निर्विघ्न रूप से सम्पन्न होते हैं।

मुनि श्री ने कहा कि यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चों को सत्ता, संपत्ति, सिद्धि, प्रसिद्धि मिले और उनकी जिंदगी सुरक्षित रहे, तो उपनयन संस्कार अवश्य कराएं। यह संस्कार मोक्ष की ओर जाने में निमित्त बनेगा। छोटी उम्र में किया गया यह संस्कार हर प्रतिकूलता में सहायक होता है और इसके माध्यम से सरस्वती की कृपा बच्चों पर बनी रहेगी। व्यसन-मुक्त समाज का निर्माण करना हमारी जिम्मेदारी है। दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के प्रचार प्रमुख सतीश जैन ने बताया कि आज देश भर से आए 430 बालकों और 684 बालिकाओं, कुल 1134 का उपनयन संस्कार ब्रह्मचारी अविनाश भैया जी द्वारा बोले गए 16 मंत्रों से सम्पन्न हुआ।

इस मौके पर मुनि श्री विनम्र सागर जी, मुनि श्री निस्वार्थ सागर जी महाराज, निसर्ग सागर जी महाराज, क्षुल्लक श्री हीरक सागर जी महाराज, और अन्य ब्रह्मचारिणी बहनों ने भाग लिया। सभी बच्चों ने मुंडन कराया और उन्हें सभी व्यसनों, विशेषकर मोबाइल गेम्स, का त्याग कराया गया। उनके गले में जनेऊ डाला गया और हाथ में कलावा पहनाया गया। इसके साथ ही, उन्हें प्रतिदिन मंदिर के दर्शन और रात्रि भोजन का त्याग करने का नियम भी बताया गया। बच्चों को प्रतिदिन एक बार माला फेरने और भोजन से पहले नौ बार णमोकार मंत्र का जाप करने का संकल्प भी दिलवाया गया।

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